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DESH BHAR SE HAT JAAYENGE TOLL PLAZA NITIN GADKARI : जानिये कितना सुहाना होगा सफर

DESH BHAR SE HAT JAAYENGE TOLL PLAZA : नितिन गडकरी

अगस्त  2022 में , सड़क  परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने  राज्य सभा में बताया था की सरकार आने वाले कुछ दिनों में  सड़क से टोल प्लाजा हटाने के लिए एक वैकल्पिक टोल संग्रह प्रणाली पर काम कर रही है । इसके फलस्वरूप  पूरे देश के संपूर्ण राजमार्गो मे बने हुए टोल प्लाजा को हटा  दिया जाएगा ।  इससे टोल प्लाजा में वाहनों की लगने वाली लम्बी लम्बी कतारों से उपभोक्ताओं को निजात मिलेगी ।

 

DESH BHAR SE HAT JAAYENGE TOLL PLAZAनितिन गडकरी ने राज्य सभा में कहा था कि अभी हम फास्टटैग  का प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन अब हम नए विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। जैसे कि उपग्रह-आधारित टोल प्रणाली (GPS आधारित टोल संग्रह सिस्टम)। जो कि वाहन में लगी हुई जीपीएस प्रणाली के माध्यम से, वास्तविक दूरी के हिसाब से बैंक खाते से टोल राशि को डेबिट करेगी। दूसरा विकल्प नंबर प्लेट है, जिसमें टोल संग्रह के लिए कंप्यूटरीकृत प्रणाली होगी।

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी ने 27 मार्च 2024 को समाचार एजेंसी ANI को बताया कि केंद्र सरकार भारत में मौजूदा टोल प्रणाली को समाप्त करने जा रही है और उसे उपग्रह-आधारित टोल संग्रह प्रणाली (GPS आधारित टोल संग्रह प्रणाली) से बदलेगी। पैसा वास्तविक दूरी के अनुसार जुड़े हुए बैंक खातों से सीधे डेबिट हो जाएगा।

टोल कारों की उच्च दरों पर शिकायतों का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि पहले, मुंबई से पुणे जाने में 9 घंटे लगते थे, अब यह दूरी 2 घंटे पूरी हो जाती है। इससे लोगों का समय और ईंधन दोनों में बचत होती है। उन्होंने यह भी कहा कि इन राजमार्गों का निर्माण पब्लिक-प्राइवेट इन्वेस्टमेंट से हो रहा है, इसलिए लोगों के पैसे भी लौटाने पड़ेंगे। ।

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तो चलिए  विस्तार से जानते है वर्तमान टोल प्रणाली और उपग्रह-आधारित टोल प्रणाली  के बारे में ।

क्या है वर्तमान टोल संग्रहण प्रणाली : FAST TAG SYSTEM

वर्तमान टोल संग्रहण प्रणाली में, सड़क मार्ग से गुजरने वाले वाहनों को टोल प्लाजा से गुजरते समय एक निर्धारित शुल्क अदा करना होता है, जिसे टोल टैक्स कहा जाता है। इस शुल्क का निर्धारण वाहन के प्रकार के आधार पर किया जाता है। मौजूदा प्रणाली के अनुसार, सभी वाहनों को उनके विंडशील्ड पर रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) आधारित फास्ट टैग लगाना होता है। यह फास्ट टैग पहले से ही रिचार्ज होता है या किसी बैंक खाते से जुड़ा होता है। जब वाहन किसी टोल प्लाजा से गुजरता है, तो वहां पर लगे स्कैनर फास्ट टैग में गए हुए रेडियो फ्रीक्वेंसी को पहचान कर निर्धारित शुल्क को डेबिट कर लेता है।

DESH BHAR SE HAT JAAYENGE TOLL PLAZA

जीपीएस-आधारित टोल प्लाजा प्रणाली क्या है?

जैसा कि नाम से पता चलता है, यह प्रणाली जीपीएस तकनीक के माध्यम से टोल टैक्स को संग्रहित करेगी। इसके द्वारा निर्धारित दूरी जीपीएस संकेतों के माध्यम से निर्धारित की जाएगी। अब टोल शुल्क भुगतान करने के लिए वाहनों को किसी स्थान पर रुकने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि जीपीएस के माध्यम से निर्धारित दूरी के आधार पर जुड़े हुए बैंक खातों से टोल का भुगतान स्वतः हो जाएगा। इस प्रणाली को स्थापित करने के लिए, वाहनों में स्वचालित नंबर प्लेट लगाए जाएंगे और राजमार्गों में स्वचालित नंबर प्लेट रीडर (ANPR) स्थापित किए जाएंगे।

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जानिये क्या क्या बदल जाएगा:

समय की बचत: फास्टटैग के उपयोग के बाद, टोल प्लाजा में वाहनों के रुकने का समय 8 मिनट से घटकर लगभग 47 सेकंड हो गया है, फिर भी अक्सर टोल प्लाजा में वाहनों की कतार लम्बी हो जाती है। जीपीएस आधारित प्रणाली के आ जाने के बाद, वाहनों को किसी टोल प्लाजा पर रुकना नहीं होगा, बल्कि शुल्क स्वतः ही जुड़े हुए बैंक खाते के माध्यम से भुगतान हो जाएगा।

पैसे की बचत: अभी सामान्यत: टोल बूथ से दूसरे टोल बूथ की दूरी लगभग 60 किमी है, लेकिन जीपीएस आधारित प्रणाली में वास्तविक दूरी की गणना जीपीएस के माध्यम से की जाएगी, जिससे आपके पैसों की बचत होगी।

तकनीकी खामियों की वजह से होने वाली परेशानियों से मुक्ति: फास्टटैग रीडर आपके फास्ट टैग को रीड नहीं कर पाते हैं, जिससे आपका समय बर्बाद होता है। नई प्रणाली से इस समस्या से निजात मिलेगी।

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